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Showing posts from October, 2020

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र

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                                        *सिद्ध कुंजिका स्तोत्र* जीवन में सफलता की कुंजी है "सिद्ध कुंजिका"  दुर्गा सप्तशती में वर्णित सिद्ध कुंजिका स्तोत्र एक अत्यंत चमत्कारिक और तीव्र प्रभाव दिखाने वाला स्तोत्र है। जो लोग पूरी दुर्गा सप्तशती का पाठ नहीं कर सकते वे केवल कुंजिका स्तोत्र का पाठ करेंगे तो उससे भी संपूर्ण दुर्गा सप्तशती का फल मिल जाता है। जीवन में किसी भी प्रकार के अभाव, रोग, कष्ट, दुख, दारिद्रय और शत्रुओं का नाश करने वाले सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ नवरात्रि में अवश्य करना चाहिए। लेकिन इस स्तोत्र का पाठ करने में कुछ सावधानियां भी हैं, जिनका ध्यान रखा जाना आवश्यक है। सिद्ध कुंजिका स्तोत्र पाठ की विधि कुंजिका स्तोत्र का पाठ वैसे तो किसी भी माह, दिन में किया जा सकता है, लेकिन नवरात्रि में यह अधिक प्रभावी होता है। कुंजिका स्तोत्र साधना भी होती है, लेकिन यहां हम इसकी सर्वमान्य विधि का वर्णन कर रहे हैं। नवरात्रि के प्रथम दिन से नवमी तक प्रतिदिन इसका पाठ किया जाता...

पुरुषोत्तम मास माहात्म्य

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अनन्त फलदायी  “ *पुरुषोत्तम मास माहात्म्य* " 👉तिथि :- शुक्रवार 18 सितंबर से                  शुक्रवार 16 अक्तूबर  👉विशेष :- इस मास में भगवान श्री राधा  कृष्ण के समस्त उत्सवो को आनन्द पूर्वक मनाया जा सकता है  👉महात्म:-भगवान के नाम, कथा, लीला, उत्सवो का श्रवन, कीर्तन, तीर्थ यात्रा, सनान दान, वृत नियम अनन्त अनन्त फलदायी होते है  👉नियम:-पूरे मास भगवान के निमित्त कोई ना कोई नियम सभी वैष्णवो को अवश्य लेना चाहिए   👉कथा:-    इस मास मे  सूर्य की कोई संक्रांति नही होती । पुराणों में अधिकमास यानी मलमास के पुरुषोत्तम मास बनने की बड़ी ही रोचक कथा है। उस कथा के अनुसार बारह महीनो के अलग-अलग स्वामी हैं पर स्वामीविहीन होने के कारण अधिकमास को 'मलमास' कहने से उसकी बड़ी निंदा होने लगी। इस बात से दु:खी होकर मलमास श्रीहरि विष्णु के पास गया और उनसे दुखड़ा रोया।           भक्तवत्सल श्रीहरि उसे लेकर गोलोक पहुँचे। वहाँ श्रीकृष्ण विराजमान थे। करुणासिंधु भगवान श्रीकृष्ण ने म...

दशरथकृत शनि स्तोत्र

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                                  दशरथकृत शनि स्तोत्र विनियोगः- ॐ अस्य श्रीशनि-स्तोत्र-मन्त्रस्य कश्यप ऋषिः, त्रिष्टुप् छन्दः, सौरिर्देवता, शं बीजम्, निः शक्तिः, कृष्णवर्णेति कीलकम्, धर्मार्थ-काम-मोक्षात्मक-चतुर्विध-पुरुषार्थ-सिद्धयर्थे जपे विनियोगः। कर-न्यासः- शनैश्चराय अंगुष्ठाभ्यां नमः। मन्दगतये तर्जनीभ्यां नमः। अधोक्षजाय मध्यमाभ्यां नमः। कृष्णांगाय अनामिकाभ्यां नमः। शुष्कोदराय कनिष्ठिकाभ्यां नमः। छायात्मजाय करतल-कर-पृष्ठाभ्यां नमः। हृदयादि-न्यासः- शनैश्चराय हृदयाय नमः। मन्दगतये शिरसे स्वाहा। अधोक्षजाय शिखायै वषट्। कृष्णांगाय कवचाय हुम्। शुष्कोदराय नेत्र-त्रयाय वौषट्। छायात्मजाय अस्त्राय फट्। दिग्बन्धनः- “ॐ भूर्भुवः स्वः” ध्यानः- नीलद्युतिं शूलधरं किरीटिनं गृध्रस्थितं त्रासकरं धनुर्धरम्। चतुर्भुजं सूर्यसुतं प्रशान्तं वन्दे सदाभीष्टकरं वरेण्यम्।। रघुवंशेषु विख्यातो राजा दशरथः पुरा। चक्रवर्ती स विज्ञेयः सप्तदीपाधिपोऽभवत्।।१ कृत्तिकान्ते शनिंज्ञात्वा दैवज्ञैर्ज्ञापितो हि सः। रोहिणीं भेदयित्व...

संध्योपासन विधि

           🙏🌹अथ संध्योपासनविधि: 🌹🙏 ( १ ) पवित्रीकरणम् ॐ अपवित्र: पवित्रो वेत्यस्य वामदेव ऋषि: विष्णुर्देवता गायत्रीच्छन्द: हृदि पवित्रकरणे विनियोग:। ॐ अपवित्र पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोऽपि वा। य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तर: शुचि:।। ( २ ) त्रिराचमनम्  अन्तर्जानुहस्त: संहताङ्गुलिना शुद्धजलं गृहीत्वा मुक्ताङगुष्ठकनिष्ठेनवामेनान्वारब्धपाणिना ब्रह्मतीर्थेन त्रिरप: पिबेत्। १ 👉 ॐ केशवाय नमः २ 👉 ॐ नारायणाय नमः ३ 👉 ॐ माधवाय नमः ४ 👉 ॐ हृषीकेशाय नमः ( ३ ) आसनशुद्धि:  ॐ पृथ्वीतिमन्त्रस्य मेरुपृष्ठ ऋषि: सुतलं छन्द: कूर्मो देवता आसने विनियोग:। ॐ पृथ्वि त्वया ध‌ता लोका देवि त्वं विष्णुना धृता। त्वं च धारय मां देवि पवित्रं कुरु चासनम्।। ( ४ ) पवित्रीधारणम्  ॐ पवित्रेस्थोव्वैष्णव्यौ सवितुर्व: प्रसवऽउत्पुनाम्यच्छिद्रेण पवित्रेण सूर्यस्य रश्मिभि: । तस्य ते पवित्रते पवित्रपूतस्य यत्काम: पुनेतच्छकेयम्।। ( ५ ) त्र्यायुषमित्यस्य नारायण ऋषि: रुद्रो देवता उष्णिक्छन्द: भस्मधारणे विनियोग:। ( ६ ) स्वस्ति - तिलक धारणम्  ॐ स्वस्ति नऽइन्द्रोव्वृद्धश...

क्या आपका भाग्य साथ नहीं दे रहा है❓शत्रुओं से परेशान हैं ❓ऋण बढ़ता जा रहा है तो जाने इस नवरात्रि में किन उपायों को करके आप इन सभी समस्याओं से छुटकारा पा सकते हैं❓

                         *किस दिन कौन सी देवी की होगी पूजा* मां शैलपुत्री पूजा घटस्थापना : 17 अक्टूबर मां ब्रह्मचारिणी पूजा : 18 अक्टूबर मां चंद्रघंटा पूजा : 19 अक्टूबर मां कुष्मांडा पूजा : 20 अक्टूबर मां स्कंदमाता पूजा : 21 अक्टूबर षष्ठी मां कात्यायनी पूजा : 22 अक्टूबर मां कालरात्रि पूजा : 23 अक्टूबर मां महागौरी दुर्गा पूजा : 24 अक्टूबर मां सिद्धिदात्री पूजा : 25 अक्टूबर    *शनिवार को होगी पूजा की शुरूआत, बन रहा बुध और आदित्य का योग* शनिवार, 17 अक्टूबर से मां दुर्गा की नौ दिवसीय पर्व नवरात्रि शुरू हो जायेगी. इस दिन सूर्य का राशि परिवर्तन भी होना है. विशेषज्ञों की मानें तो इस दिन सूर्य तुला में प्रवेश करेंगे. इस राशि से पहले वक्री बुध भी रहेगा. जिस कारण बुध और आदित्य का योग बनेगा. घोडे़ पर सवार होकर आयेंगी मां, भैंस से होंगी विदा अगर नवरात्रि की शुरूआत सोमवार या रविवार से शुरू हो तो इनका वाहन हाथी होता है. ठीक उसी तरह, शनिवार या मंगलवार से शुरू हो तो सवारी घोड़ा और गुरुवार एवं शुक्रवार शुरू हो तो सवारी डोली होती ...